समाचार घोष



राष्ट्रीय सैनी पंचायत एकजुट करेगा हिसार के सैनी समाज को


हिसार(saini ghosh) स्थानीय डोगरान मोहल्ला स्थित महाराजा सैनी युवा मोर्चा के कार्यालय में मोर्चा की बैठक आयोजित की गई। बैठक में विशेष रूप से भारत के सुप्रसिद्ध संगठन राष्ट्रीय सैनी पंचायत के चेयरमैन कटारिया जगदीश राय सैनी (रोहतक) ने मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया जबकि बैठक की अध्यक्षता किराड़ा के पूर्व सरपंच राधेश्याम सैनी ने की इसके अलावा राष्ट्रीय सैनी पंचायत के हिसार जिला अध्यक्ष राजेंद्र सैनी विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद थे। कटारिया जगदीश राय सैनी ने सभा में उपस्थित हरियाणा की संस्थाओं को संबोधित करते हुए कहा कि हिसार जिले में सैनी समाज के लोगों की जनसंख्या बड़े पैमाने पर है। इस समाज के कुछ बच्चे धन के अभाव के कारण पढ़ाई में होनहार होने के बावजूद पढ़ नहीं पाते। छोटी सी आयु में ही उन्हें काम करने पर मजबूर होना पड़ता है। उन्होंने ऐसे बच्चों के लिए एक घोषणा करते हुए कहा कि अगर सैनी समाज का बच्चा धन के अभाव के कारण पढऩे में कोई परेशानी महसूस करता है तो राष्ट्रीय सैनी पंचायत उसकी शिक्षा का बीढ़ा उठाएगी और उन्हें उच्च कोटि की शिक्षा प्रदान करवाई जाएगी। इसके साथ ही यह संस्था समाज के मजबूर, आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों की भी तन-मन-धन से सहायता प्रदान करने के लिए तैयार है। राष्ट्रीय सैनी पंचायत के हिसार जिलाध्यक्ष राजेंद्र सैनी ने सभी संस्थाओं के प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए कहा कि यह संस्था समाज के समस्त लोगों को एकजुटता में बांधने का प्रयास करेगी व समय-समय पर धार्मिक व सांस्कृतिक कार्यक्रम तथा परिचय सम्मेलन करवाएगी। इस अवसर पर पधारे केयर-टेकर गु्रप के चेयरमैन हेमंत सैनी ने कटारिया जगदीश राय सैनी का रोहतक से पहुंचने पर हार्दिक स्वागत किया तथा आभार जताया। उन्होंने कहा कि हिसार जिले की सभी संस्थाएं राष्ट्रीय सैनी पंचायत के साथ मिलकर काम करेगी तथा समाज में फैली भू्रण हत्या, दहेज प्रथा, जात-पात आदि कुप्रथाओं से छुटकारा दिलवाएगी।

49 टिप्‍पणियां:

  1. Sir I am Mali .sir me Janna chchuta hu ki apne Mali samaj ka itihas kaha se chalu Hui apni jati kaise Hui kab Hui aap Is ka jabav mail bhi kar sakte hai es side par malir61@yahoo.com

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    1. BETA HAMARI JATI MAHA RAJA SURSHAN SAINI SE SHURU HUI

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    2. गढ़वाल गोश्र कि कुल देवी कहा पर है

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    3. मेरा गोत्र मंडावरिया है मेरी कुलदेवी का नाम बताएं

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    4. We are decedents of ancient "Malav Gana people", who were residing in and around Multan and surrounding areas of Multan and at sangam area of Ravi and Chenab in ancient Punjab. After being defeated by Alexander in 326 BC, our Malav Gana people (present day Mali caste) migrated towards south east in present day Rajasthan from their original area and later on spreaded in other parts of India.

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  2. अलग-अलग प्रांतों में माली समाज की उत्पति के बारे में अलग-अलग मान्यतायें हैं। राजस्थान में मुस्लिमों के साथ हुए युद्ध के दौरान पकड़े गये राजपूत समाज के सैनिकों ने एक माहुर कहे जाने वाले माली के साथ मिल कर अपने आप को मुक्त करवाया था तथा बाद में पुष्कर में हुए एक सम्मेलन में सबने माली समाज मे ंरहना स्वीकार यिका, जिसकी लिखा-पढी आज भी मौजूद है। यह विक्रमी सम्वत 1287 की बात है। उसके बाद इस समाज के लोगों ने धीरे-धीरे हथियार छोड़ कर खेती व बागवानी का धंधा अपना लिया। ये माहुर माली मथुरा के थे। मथुरा के आस-पास के समस्त माली महाराजा शूर सैनी के वंशज हैं। महाराजा सैनी का साम्राज्य बहुत विशाल था तथा वे वेदों को मानने वाले, धर्मशासन चलाने वाले, न्यायप्रिय ओर लोकतांत्रिक पद्धति में विश्वास करने वाले थे।

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  3. आज से ५१०६ वर्ष पूर्व द्वापरकाल के अन्तिम चरण मे य्द्र्वंश मे सचिदानंद घन स्वय परमात्मा भगवान् श्रीकृषण क्षत्रिय कुल मे पैदा हुए और युग पुरुष कहलाये| महाभारत कई युध्दोप्रांत यदुवंश समाप्त प्राय हो गया था| परन्तु इसी कुल मई महाराज सैनी जिन्हे शुरसैनी पुकारते है| जो रजा व्रशनी के पुत्र दैव्मैघ के पुत्र तथा वासुदेव के पिता भगवन श्रीकिशन के दादा थे| इन्ही महाराज व्रशनी के छोटे पुत्र अनामित्र के महाराज सिनी हुये, इस प्रकार महाराज शुरसैनी तथा सिनी दोनों काका ताऊ भाई थे| इन्ही दोनों महापुरुषों के वंशज हम लोग सैनी क्षत्रिय कहलाये| कालांतर मई वृशनी कुल का उच्चारण सी वृ अक्षर का लोप हो गया और षैणी शब्द उच्चारित होने लगा जो आज भी उतरी भारत के पंजाब एव हरियाणा प्रांतो मे सैनी शब्द के एवज मे अनपढ़ जातीय बंधू षैणी शब्द ही बोलते है, और इसी सिनी महाराज के वंश परम्परा के अपने जातीय बह्धू सिनी शब्द के स्थान पर सैनी शब्द का उच्चारण करने लगे है| जो सर्वथा उचित और उत्तम है|

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  4. भारत के प्रसिध्द इतिहासकार डा.'ए.डी.पुत्स्लकर ' एम.ए.,पी एच डी ने भी इस मत का प्रतिपादन किया है| वृशनी (सैनी) जाती के महाराज वृशनी के बाबत अग्रेजी मे लिखा " Vrishanis youngest son Anamitra have a son and their desiendents were called " Saiyas "(See Anicient Indian Hostorical Traditio 1922 page 104-105-105)" महाराज वृश्निजी के चोटी पुत्र अनामित्र के महाराज सीनी हुये इसी सिन्नी शब्द का पर्यायवाची शब्द 'सैनी' हुआ जिनकी वंशज कहलाते है| (देखे भारत के प्राचीन इतिहास के संकलन मे सं १९२२ मे पेज नं. १०४ सी १०६ तक )| इस प्रकार भारत के प्राचीन ग्रंथ इतिहास पुरान तथा महाभारत के अनुशासन पर्व मे भी महाराज सैनी के सम्बन्ध मे उल्लेख मिलता है| १. वायु पुराण अध्याय ३७ शुरसैनी महाराजर्थी एक गुनोतम तथा श्लोक १२९ जितेन्द्रिय सत्यवादी प्रजा पालक तत्पर : २. महाभारत अनुशासन पर्व अध्याय १४९ 'सदगति स्तक्रती संता सदगति सत्य न्याय परायण' तथा श्लोक ८८ मे शुर सैनी युद्ध स्न्निवास सुयामन: महाराज शुरसैनी चन्द्रवंशी सम्राट थे इनका राज्य प्राचीनकाल की हस्तिनापुर (वर्मन दिल्ली क्षेत्र पंजाब तथा मथुरा वृदावन उतर प्रदेश) मे फैला हुआ था|इसका वर्णन चाणक्य श्रिषी ने चन्द्रगुप्त मोर्य के शासनकाल मे २५० वर्ष पूर्व था उसका वर्णन कोटील्य अर्थशास्त्र मे किया है की यदुवंश (षैनी) राज्य एव सूर्यवंशी गणराज्य बिखर चुकाई थे|

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  5. प्रसिद्ध साहित्यकार कक्शिप्रसाद जायसवाल तथा अंग्रेज इतिहासकार कर्नल ताड़ जिसने राजस्थान की जातियों का इतिहास लिखा है ने क्षुर्सैनी वंश को कई एक ग्न्राज्यो मे बटा हुआ माना है| इन इतिहासकारों के अलावा चिन देश के इतिहासकार 'मैग्स्थ्निज' ने काफी वर्षो तक भारत मे रहकर यह कई जातियों कई भ्लिभाती जाच कर सैनी गणराज्यों के बाबत इतिहास मे उल्लेख किया है| इन आर्य शासको का राज्य अर्याव्रता तथा यूरोप के एनी नगरों तक था| महाभारत कई मासा प्रष्ठ १४९-१५० और वत्स पुराण अध्याय ४३ शलोक ४५ से यह पता चलता है कई शुरसैनी प्रदेश मे रहने वाले शुरसैनी लोग मालवे (मध्य प्रदेश) मे जाकर मालव अर्थात माली नाम से पहचाने जाने लगे| कालान्तर मे इन्ही मालवो मे चक्रवर्ती सम्राट वीर विक्रमादित्य हुये जिनके नाम से विक्रम सम्वत चालू हुआ| यह सम्वत छटी शताब्दी से पहले माली सम्वत के नाम से प्रसिद्ध था| मालव का अपन्भ्रस मालव हुआ जो बाद मे माली हो गया|

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  6. हमारा सैनी समाज सम्वत १२५७ के पर्व महाराज पृथ्वीराज चोहान भारत मे कितने वैभवशाली एव गोरवपूर्ण थे, अरब देश के लुटेरे मोहम्मद गोरी जो सम्राट पृथ्वीराज के भाई जयचंद को प्रलोभन देकर पृथ्वीराज को खत्म कराकर दिल्ली का शासक बन बैठा| इसकी पक्ष्चात भारत पर लगातार मुस्लिम आक्रताओ ने हमले कर बहरत के तत्कालीन शासको को गुलाम बना लिया| इसी समय से क्षत्रिय वीर भारत के किसी भी प्रान्त मे संगठित नही रहे| क्षत्रिय वीर अलग अलग रियासतो मे मुगलों से विधर्मियों से मिलकर अपनी बहिन बिटिया मुगलों को देने लगा गये| इससे राजस्थान के राजघराने के राजा अग्रणी रहे सिवाय मेवाड़ के म्हाराजाओ के| अन्य क्षत्रिय सरदार जो रियासतो के शासक नही थे किन्तु वीर और चरित्र से आनबान के धनी थे| उन्होने अपनी बहिन बैटिया की अस्मत बचाने के लिय क्षत्रिय वंश ( कुल छोड़कर ) इन क्षत्रियो से अलग हो गये| यह क्षत्रिय राजा राजस्थान मे अपना वर्चस्व कायम रखने हेतु अपने ही भाइयो को जिन्होंने ख्स्त्रिय कुल से अलग होकर दिल्ली के तत्कालीन बादशाह शहबुदीन मोहम्मद गोरी के पास अपने मुखियाओ को बेचकर कहला भेजा की अब हम क्षत्रियो से अलग हो गये| हमने अपना कार्यक्षेत्र कृषि अपना लिया| बादशाह को चाहिये ही क्या था? उसने सोचा कई बहुत ही अच्छा हुआ क्षत्रिय समाज अब संगठित नहीं रहा, क्षत्रियो कई शक्ति छिन्न भिन्न हो गये| अब आराम से दिल्ली का बादशाह बना रहूगा | विक्रम सम्वत १२५७ अथार्त आज से ८०० वर्ष क्षत्रिय समाज राजपूतो से अलग हुये और कृषि कार्य अपना कर माली बने| सैनी क्षत्रिय जो माली शब्द से पहचाने जाने लगे

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  7. हमारा सैनी समाज सम्वत १२५७ के पर्व महाराज पृथ्वीराज चोहान भारत मे कितने वैभवशाली एव गोरवपूर्ण थे, अरब देश के लुटेरे मोहम्मद गोरी जो सम्राट पृथ्वीराज के भाई जयचंद को प्रलोभन देकर पृथ्वीराज को खत्म कराकर दिल्ली का शासक बन बैठा| इसकी पक्ष्चात भारत पर लगातार मुस्लिम आक्रताओ ने हमले कर बहरत के तत्कालीन शासको को गुलाम बना लिया| इसी समय से क्षत्रिय वीर भारत के किसी भी प्रान्त मे संगठित नही रहे| क्षत्रिय वीर अलग अलग रियासतो मे मुगलों से विधर्मियों से मिलकर अपनी बहिन बिटिया मुगलों को देने लगा गये| इससे राजस्थान के राजघराने के राजा अग्रणी रहे सिवाय मेवाड़ के म्हाराजाओ के| अन्य क्षत्रिय सरदार जो रियासतो के शासक नही थे किन्तु वीर और चरित्र से आनबान के धनी थे| उन्होने अपनी बहिन बैटिया की अस्मत बचाने के लिय क्षत्रिय वंश ( कुल छोड़कर ) इन क्षत्रियो से अलग हो गये| यह क्षत्रिय राजा राजस्थान मे अपना वर्चस्व कायम रखने हेतु अपने ही भाइयो को जिन्होंने ख्स्त्रिय कुल से अलग होकर दिल्ली के तत्कालीन बादशाह शहबुदीन मोहम्मद गोरी के पास अपने मुखियाओ को बेचकर कहला भेजा की अब हम क्षत्रियो से अलग हो गये| हमने अपना कार्यक्षेत्र कृषि अपना लिया| बादशाह को चाहिये ही क्या था? उसने सोचा कई बहुत ही अच्छा हुआ क्षत्रिय समाज अब संगठित नहीं रहा, क्षत्रियो कई शक्ति छिन्न भिन्न हो गये| अब आराम से दिल्ली का बादशाह बना रहूगा | विक्रम सम्वत १२५७ अथार्त आज से ८०० वर्ष क्षत्रिय समाज राजपूतो से अलग हुये और कृषि कार्य अपना कर माली बने| सैनी क्षत्रिय जो माली शब्द से पहचाने जाने लगे

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  8. 1891 की मारवाड़ जनगणना रिपोर्ट ने भी राजपूताना में किसी 'सैनी' नाम के समुदाय को दर्ज नहीं किया है और केवल दो समूह को माली के रूप में दर्ज किया है. जिनका नाम है महूर माली और राजपूत माली जिसमें से बाद वाले को राजपूत उप-श्रेणी में शामिल किया गया है. राजपूत मालियों ने अपनी पहचान को 1930 में सैनी में बदल लिया लेकिन बाद की जनगणना में अन्य गैर राजपूत माली जैसे माहूर या मौर ने भी अपने उपनाम को 'सैनी' कर लिया.

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  9. MALI SAMAJ- HISTORY ” माली ” शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के शब्द माला से हुई है , एक पौराणिक कथा के अनुसार माली कि उत्पत्ति भगवान शिव के कान में जमा धुल (कान के मेल ) से हुई थी ,वहीँ एक अन्य कथा के अनुसार एक दिन जब पार्वती जी अपने उद्यान में फूल तोड़ रही थी कि उनके हाथ में एक कांटा चुभने से खून निकल आया , उसी खून से माली कि उत्पत्ति हुई और वहीँ से माली समाज अपने पेशे बागवानी से जुडा ………. माली समाज में एक वर्ग राजपूतों कि उपश्रेणियों का है ……….. विक्रम सम्वत १२४९ (११९२ इ ) में जब भारत के अंतिम हिंदू सम्राट पृथ्वी राज चौहान के पतन के बाद जब शहाबुद्दीन गौरी और मोहम्मद गौरी शक्तिशाली हो गए और उन्होंने दिल्ली एवं अजमेर पर अपना कब्ज़ा कर लिया तथा अधिकाश राजपूत प्रमुख या तो साम्राज्य की लड़ाई में मारे गए या मुग़ल शासकों द्वारा बंदी बना लिए गए , उन्ही बाकि बचे राजपूतों में कुछ ने मुस्लिम धर्म स्वीकार कर लिया और कुछ राजपूतों ने बागवानी और खेती का पेशा अपनाकर अपने आप को मुगलों से बचाए रखा , और वे राजपूत आगे चलकर माली कहलाये !

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    1. ये तो कोरी मूर्खता हैं। पौराणिक गपोले सारे झुटे हैं।
      मालियों की उतपत्ति के बारे में ऐसे लेख पर

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    2. Present day Mali caste people are descendants of ancient and historical " Malav Gana people".Remaining stories are fabricated and baseless and based on Puran Panthi.

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  10. राजस्थान में मुस्लिमों के साथ हुए युद्ध के दौरान पकड़े गये राजपूत समाज के सैनिकों ने एक माहुर कहे जाने वाले माली के साथ मिल कर अपने आप को मुक्त करवाया था तथा बाद में पुष्कर में हुए एक सम्मेलन में सबने माली समाज में रहना स्वीकार यिकाए जिसकी लिखा.पढी आज भी मौजूद है। यह विक्रमी सम्वत 1287 की बात है। उसके बाद इस समाज के लोगों ने धीरे.धीरे हथियार छोड़ कर खेती व बागवानी का धंधा अपना लिया। ये माहुर माली मथुरा के थे। मथुरा के आस.पास के समस्त माली महाराजा शूर सैनी के वंशज हैं। महाराजा सैनी का साम्राज्य बहुत विशाल था तथा वे वेदों को मानने वालेए धर्मशासन चलाने वालेए न्यायप्रिय ओर लोकतांत्रिक पद्धति में विश्वास करने वाले थे। सोलंकी भी उन्हीं राजपूत सैनिकों में शामिल थे, जो विक्रमी सम्वत 1287 में माली बने थे। ये जोधपुर, नागौर अजमेर क्षेत्र में बस गये थे। इनकी उस समय 12 गौत्र थी, जो धीरे-धीरे विभाजन से या अन्य गौत्रों से सााि जुडऩे से बढ गई।

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  11. आपने महाराष्ट्र में सैनी के surname अगरकर और जाधव बताये है। तो क्या क्रिकेटर अजित अगरकर और केदार जाधव सैनी है

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  12. आपने महाराष्ट्र में सैनी के surname अगरकर और जाधव बताये है। तो क्या क्रिकेटर अजित अगरकर और केदार जाधव सैनी है

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  13. Babu Harnam Dass saini of Fatehgarh Hoshiarpur was a Gadharite and was hanged in 3rd Lahore conspiracy case. He was real brother of my grandfather. His last hand written post card from the jail is my prized possession. His photo can be seen at Shaheed Yaadgar bhawan Jalandhar and central library Chandigarh. I am proud to be belonging to a family of Gadharite Vinay saini

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  14. नई दिल्ली..
    जातिवाद की समाप्ति, देश की एकता अखंडता में एक अदभुत अविवृद्धि कर सकती है, ...........लेकिन अगली कई सदीओ तक जातिवाद के समाप्त होने के सम्भाना नहीं है....इसलिए सभी पिछडी जातिओ को सामाजिक समन्वय वनाये रखने के लिए, देश को ऊपर उठाने के लिए अपनी - अपनी जाति का शैक्षिक / सामाजिक / आर्थिक/ मानसिक / भौतिक / राजनितिक विकास तीव्र करने क़ी आवश्कयता है........ समय क़ी मांग भी है ........... तथा कर्तव्य भी है,,,,
    इसलिए सैनी जाति का
    सर्वमुखी शैक्षिक / सामाजिक / आर्थिक/ मानसिक / भौतिक / राजनितिक विकास हम सव की महत्त्वपूर्ण डयूटी है.. सैनीयों के विकास हेतु कठिन परिश्रम करो ....दूसरो का सहयोग लो ....सहयोग दो...मजबूत संगठन व एकता वनाओं....


    पवन कुमारसैनी: 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻अन्तर्राष्टीय सैनी समाज मार्गदर्शन एवं एकता संघ👏

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  15. सर हमारा गोत्र टाँक है पर सूचीं me nahi h

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  16. सर हमारा गोत्र टाँक है पर सूचीं me nahi h

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  17. सर हमारा गोत्र टाँक है पर सूचीं me nahi h

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  18. राकसिया गोत्र के बारे मे किसी को जानकारी होतो शेयर करे

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  19. Special News New Delhi
    March 4,
    A Seminar of Saini Society Development was Conducted in New Delhi

    A Seminar on Interruptions in the Rapid Pace of Development of Saini Society and Measures to Overcome them was organised by Antarshtriya Saini Samaj Margdarshan Evem Ekta Sangh New Delhi at Jaina Tower III Janakpuri . The Representatives from various State participated in the Seminar. National Wrestling Coach Mandeep Singh Saini addressed the Seminar and advised that children must choose the Sport of their choice and make it as passion and followed it to owe as a career. Smt Leela Saini National Film Artist from Rohtak, Senior Advocate Shri Ram Ratan Saini from Rohni Court New Delhi, Smt Preeti Saini from IT Department Tamilnadu House New Delhi, Shri Vijay Kumar Saini Director Sawan Glass Pvt Ltd Rohtak, Shri kamal Saini Nigam Parsad and Dr Hari Saini from Jajjhar Haryana, Pradeep Kumar Saini Engineer Swaimadhopur Rajasthan, Shri Rajesh Saini Samaj Sewak , Shri Suresh Saini Samaj Sewak Kalanaur Haryana, Naresh Chand Saini, Ram Kumar Kushwah Mainpuri UP, Nobat Saini Sohana Haryana, Rakesh Saini Sr Engineer from Yamunagar,Adv Satbir Singh Saini Warrant Officer Retd from Panipat HY, Pawan Kumar Saini Warrant Officer Retd Indian Air Force from Bijnor UP and Sachin Saini IT Engineer New Delhi participated in the Seminar and it was decided to work towards qualitative education of the Children, Motivate them for participate in sports and also to work towards maintaining the cordial relations with all caste and religion of the Indian Society Shri Rudra Prakas Saini Director Prism Infratec Pvt Ltd New Delhi presided and Shri Naresh Saini Businessman Rohtak superintend the Seminar.


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  20. बिजनौर मे एक विना माता पिता की अनाथ वेटी अपनी वीमार दादी के साथ किसी तरह जीवन यापन करती है.....निर्धन होने के कारण उसकी शादी में दिक्कते आ रही थी........सत्य रुप में समाज सेवा का दायित्व निभाते हुऐ...अन्तर्राष्ट्रीय सैनी समाज मार्ग दर्शन एवं एकता संघ नई दिल्ली तथा भगीरथ सेना उत्तर प्रदेश के सदस्यों द्वारा एकत्रित 21000/-रूपये का चेक तथा 45 बर्तन कपड़े व अन्य सामान ...समाज की वेटी के घर जाकर भेट किया....वेटी ने सजल नेत्रो से सभी दान देने वाले भाइयो वहनो को धन्यवाद दिया...
    पवन कुमार सैनी एंड नरेश कुमार सैनी
    प्रतिनिधि अंतर्राष्ट्रीय सैनी समाज मार्ग दर्शन एवं एकता संघ नई दिल्ली

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  21. अंतर्राष्ट्रीय सैनी समाज मार्ग दर्शन एवं एकता संघ नई दिल्ली तत्वाधान में ..............दिनांक 8 अप्रैल को कलानौर रोहतक (हरियाणा) में फ्यूचर प्लान सेमिनार का आयोजन किया गया ..जिसमे विभिन्न क्षेत्रो से आये ...वैज्ञानिकों,डॉक्टर्स,एडवोकेट्स, शिक्षा एक्सपर्ट्स , आर्मी, एयर फ़ोर्स, नेवी, पुलिस ऑफिसर्स,तथा समाज के गणमान्य लोगो ने भाग लिया तथा वच्चो को आगे वढ़ने के लिए प्रेरित किया व वच्चो के प्रश्नो के उत्तर भी दिए....श्री नरेश कुमार सैनी जनरल सेक्रेटरी अंतर्राष्ट्रीय सैनी समाज मार्ग दर्शन एवं एकता संघ नई ने दिल्ली इस कार्यक्रम को आयोजित करने में अहम् भूमिका निभाई

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  22. Sir. Me gujrat se hu mera name ankit makwana he or me mali hu hamare vaha 'rami mali' bhi bola jata he mere papa kehte he hum mul rajasthan ke kahe jate he hamare kuldevi abhi 'sihhori maa' he lekin bade kehte he hamare kuldevi 'sundachamunda maa' he to sir aap iske bareme kuch bata sakte ho ya fir Mobile se contect ho sakya he ?

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  23. आप लोग बार बार लिख रहे हो की मुगलो के आक्रमण के समय सैनी राजपुतो ने खुद को माली कहना शुरु कर दिया था महोदय अब तो मुगलो का भय नही है अब माली क्यों लिखते हो माली कोई जाती नही है माली एक व्यवसाय है माली लिख लिख कर पुरा गूगल भरा हुआ है भाई खुद को यदी सैनी मानते हो तो सिर्फ सैनी लिखने मे क्या आपत्ति है किसी भाइ को ठेस पहुँची है तो क्षमा करना

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    1. Bhai mere hisab se yadi hum morya vashi h to hame morya hi likhna chahiye jisse hamare vash ka sab ko pta rahe ki hum rajvanshi h

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    2. Sahi h bhai hum morya vashi h to hame morya hi likhna chahiye

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    3. भाई तुम कब मौर्य बने मुरव माली से ये पता है और कौनसे राजवंशी बे बताना

      ओर ये लेखक पूरा बेवकूफ है

      सैनी नाम 1931 की जनगणना में केवल पंजाब के अंदर मिलता है
      बाकी पूरे भारत में कोई सैनी नहीं था

      पंजाब के सैनी क्षत्रिय है
      वे यदुवंशी क्षत्रिय राजपूतों से उनका संबंध है

      1931 की जनगणना में सैनी केवल पंजाब में थे
      ओर वे क्षत्रिय है

      जिनमे से लगभग 60% ने सिख धर्म अपनालिया
      लेकिन वे हिंदू भी है और उनका पारिवारिक रिसता है

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  24. में चौहान परिवार से हु
    चौहान परिवार की कुल माता..... आशापुरा माता है नाडोल(राजस्थान)

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  25. meri gotra gundiya(mewada mali) hai.
    Hmari kuldevi mataji aur bheru ji kaha h, kuch bta sakte h ap plz
    My contact no 9098889601

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  26. कमल किशोर दगदी में माली हु दगदी का क्या इतिहास है कोन कुलदेवी देवता हैं कृपा कर के बताए

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  27. Mavar maurya , saini aur Mali me kiski gotra hai

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  28. Swalka or chuliwal bhi mali or saini me ate hay orbhi hay jaise ye Bhilwara me rahe hay or kuch Gujarat me hay per muje gotra or kuldevi ke bare me pata nay hay app bataye

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  29. पत्थर फोड़ चौहान गोत्र की कुलदेवी कौन है बताएं प्लीज

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