शनिवार, 15 जुलाई 2017

सामाजिक चिंतन
हमारे देश में समाज की भले ही शाखाओं के नाम अलग-अलग हो, किन्तु एक रूपता जिससे पहचान बनती है, वह है पारम्परिक काम-धन्धा की हमारे पूर्वज बागवानी, खेती-बाड़ी, सब्जी, फल-फूल की कृषि कर विक्रय से जो आय होती रही, उसी से जीवनयापन करने की परम्परा है। पूर्व से पश्चिम एवं उत्तर से दक्षिण तक हमारा समाज उपरोक्त कृषि कार्य कर रहा है। खासकर अनेक प्रदेशों के प्याज की ख्ेाती हमारी मूल पहचान है। मध्यप्रदेश के मंत्री रहे श्री रामजी महाजन ने समाज में एकता स्थापित करने हेतु जो कि म.प्र. पिछड़ा वर्ग आयोग के प्रथम अध्यक्ष थे, इस नाते विभिन्न प्रदेशों में प्रवास पर जाकर अपने माली समाज की पहचान आगे बढ़ाई, उन्होंने मध्यप्रदेश ही नहीं अनेक प्रदेशों में काछी-कुशवाहा, की अजीविका का साधन भी साग-भाजी की कृषि के रूप में जानकर अपना सामाजिक रिश्ता बनाया। आयोग के सदस्य श्री कामता प्रसाद कुशवाहा उनके साथ प्रवास पर रहे, इन दोनो ने शाक्य एवं मौर्य जातियों को भी अपनी जाति का हिस्सा माना। इसी प्रकार दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, जम्मू एण्ड काश्मिर, पश्चिमी उत्तरप्रदेश के माली समाज ने अपनी पहचान सैनी के नाम पर स्थापित की, किन्तु आजिविका का साधन इनका भी यही बागवानी होने से सैनी शाखा को भी अपने समाज की शाखा के रूप में माना। म.प्र. पिछड़ा वर्ग आयोग की प्रथम रिपोर्ट में भी इन्होंने सूची के क्रमांक 33 में (अ) काछी-कुशवाहा, शाक्य, मौर्य, कोयरी या कोईरी (कुशवाहा), पनारा, मुराई सोनकर, कोहरी एवं 33 (बी) में माली (सैनी), मरार, फूलमाली(फूलमारी) को स्थापित कर ओबीसी की प्रमुख जाति माना है। भारत सरकार ने भी ओबीसी की सूची के क्रमांक 30 में काछी(कुशवाहा), कोशवाहा, मौर्य कोयरी/कोरी(कुशवाहा), शाक्य, मुराई, पनारा/पनाहरा, सोनकर को शासनदेश क्र. 12011/68/93-ठब्ब्(ब्) दिनाँक- 10/09/1993 एवं 12011/68/98.ठब्ब् दिनाँक 27ण्10ण्1999 एवं सूची के क्रमांक 31 में माली(सैनी) मरार को शासनदेश क्र. 12011/68/93-ठब्ब्(ब्) क्जण्10ण्09.1993 एवं 12011ध्96ध्94.ठब्ब् क्जण् 09ण्0311996 में मान्य किया है।  
इसी प्रकार बिहार में मालाकार, काछी, कुशवाहा, महतो, कोयरी, दांगी, शाखा, दक्षिण भारत में आन्ध्रप्रदेश में माली, रेड्डी, वन्नियार, कर्नाटक में तिगला, वन्नियार, शम्भुकुला क्षत्रिय, वन्नकुला क्षत्रिय, अग्निकुला क्षत्रिय, लिंगापत, मालागार, गुजरात में रामी आदि-आदि, नामो की शाखाओं-उपशाखाओं में इसी बागवानी का कार्य प्रायः कर रहे है। ये सब एक ही जाति की भिन्न-भिन्न शाखाऐं है।
हमारा समाज कुरीतियो, कर्मकाण्ड, अशिक्षा, धार्मिक रीति-रिवाजो, आस्था, परोपकार, गरीबी के परिवेष में जकड़ा हुआ है, और इन सब कामों में तन-मन-धन लगाकर अंध विश्वास के सहारे पिछड़ा बना हुआ है। इससे आगे का वैज्ञानिक आधारों का प्रकृति प्रदत्त सिद्धान्तो पर चलने हेतु ठोस समझ बनाकर, शिक्षित होकर मजबूती से कदम बढ़ाना ही होगा। समाज के राजनीति करने वालो को अब दरी विधाने-उठाने भीड़ बढ़ाने तालीयाँ बजाने के बजाय नेतृत्व अपने हाथ में लोने हेतु कदमताल करना होगा। नेतृत्व प्रदान करने लायक बनना होगा।
समाज की अनुमानित कुल जनसंख्या की 12 प्रतिशत है, यदि सामाजिक एकता स्थापित करने हेतु कोई संयुक्त रूप से प्रयास करें तो शासन-प्रशासन में जाति के अनुपात में भागीदारी प्राप्त की जा सकती है। अन्यथा अपनी-अपनी ढ़पली, अपना-अपना राग गाते रहेंगे। आने वाली पीढ़ी हमें क्या कहेगी, जरूर सोचियें एवं कुछ उपाय करिये।
हमारे समाज में केन्द्रिय मंत्री मण्डल में केवल एक राज्यमंत्री श्री उपेन्द्र कुशवाह है, पूर्व में भी श्री अशोक गहलोत, श्री अम्बुमणी रामदास, श्री नागमणी मंत्री रहे है। सांसद भी है, महाराष्ट्र से श्री राजीव सातव, उत्तरप्रदेश से श्री केशव प्रसाद मौर्य जो वर्तमान में उपमुख्यमंत्री है श्री सत्यपाल सैनी, श्री रविन्द्र कुशवाहा एवं श्री राजपाल सिंह सैनी है, विहार से श्री उपेन्द्र कुशवाहा (मंत्री) के अलावा श्री रामकुमार शर्मा, श्री सन्तोष कुमार कुशवाहा, हरियाणा से श्री राजकुमार सैनी है, तथा तमिलनाडू से 7 सांसद है। राज्यों में श्री केशवप्रसाद मौर्य उप मुख्यमंत्री, स्वामी प्रसाद मौर्य, डाॅ. धर्मसिंह सैनी मंत्री, हरियाणा से श्री नायब सिंह सैनी एवं एक विधायक, राजस्थान से श्री प्रभुलाल सैनी, एवं 3 विधायक, पूर्व मुख्यमंत्री श्री अशोक गेहलोत, मध्यप्रदेश में चार विधायक, पंजाब एक विधायक, महाराष्ट्र से 19 विधायक, बिहार से 3 मंत्री एवं 18 विधायक, उत्तरप्रदेश से 3 मंत्री एवं 14 विधायक तथा दक्षिण भारत में 36 विधायक है। इस प्रकार राजनीति में भी नाममात्र का प्रतिनिधित्व है, वह भी अपने अपने प्रयासो से जन प्रतिनिधित्व मिला है, इन्हें सामाजिक संस्थाओं का योगदान नहीं मिला है। और राष्ट्रीय स्तर पर एसी सामाजिक संस्था भी नहीं है। जो संगठनात्मक रूप् से तन-मन-धन से रणनीति बनाकर राजनैतिक परचम आगे बढ़ा सकें।
इसी प्रकार आई.ए.एस/आई.पी.एस./आई.एफ.एस./राज्य प्रशासनिक सेवा के सम्पूर्ण भारत में 100 अधिकारी भी समाज के नहीं है।
हमारे समाज में सामाजिक काम करने वालों को कभी न कभी बड़ा दिल खोलकर समाजप्रेमी बनकर राष्ट्रीय स्तर पर संगठन बनाकर शिक्षा, स्वास्थ्य, समाज सेवी, राजनीतिक, प्रशासनिक अमला खडा करने की रणनिति बनाना चाहिये। महात्मा जोतीराव फुले के सपनों को साकार करने हेतु ठोस प्रयास जारी रख्ेा जायें।

- रामनारायण चैहान 
       महासचिव 
महात्मा फुले सामाजिक शिक्षण संस्थान
ए-103,ए ताज अपार्टमेन्ट गाजीपुर दिल्ली-96
मो. नं.- 9990952171,
         Email:- phuleshikshansansthan@gmail.com